संभावनाओं का शहर
सुशील स्वतंत्र का ब्लॉग
गुरुवार, 24 अप्रैल 2014
मिट्टी में उतरे बिना
सदियों से
बदलते आए हैं सवाल
जवाब वही होते हैं
तयशुदा
अंकुरण की तरह
मिट्टी में उतरे बिना
नहीं बदलते हैं जवाब
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सुशील कुमार
दिल्ली, 24 अप्रैल 2014
(तस्वीर गूगल से साभार)
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